बहुत भोला है यॅह मन

प्रत्येक सुर्योदय के साथ जग-ते ही, सहस्त्र स्वप्नों को जन्म देता है यॅह मन। प्रत्येक स्वप्न की पूर्ति हेतु तत्पर, योजनाओं का आविश्कार करता है यॅह मन। दिन ढल-ता जाता है, स्वप्न टूट-ते जाते हैं। और उन-ही स्वप्नों के अनगिनत टुकड़ों से छलनि, भीषण घावों को भर-ते, सुर्यास्त बिताता है यॅह मन।   किन्तु, इस... Continue Reading →

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